बाघमारा : झारखंड सहित पश्चिम बंगाल के प्रत्येक गांव में स्थित हरि मंदिरों में धार्मिक मान्यता के अनुसार सदियों से चली आ रही हरि कीर्तन का होना अत्यन्त महत्वपूर्ण है। झारखंड एवं बंगाल के हरेक गांवों में हरि कीर्तन संभवत: चैत्र मास के आरंभ से लेकर आषाढ़ मास के संक्रांति तक होना निश्चित ही है। क्योंकि पूर्वजों की कथन को माने तो गांव में बिना हरि कीर्तन किए खेती को लेकर बीज का एक दाना भी खेतों में डाला नहीं जता है। इसी मान्यता के अनुसार सदियों से आज तक झारखंड सहित पश्चिम बंगाल के प्रत्येक गांव में हरि कीर्तन करना अति आवश्यक माना गाया है। जो हरि कीर्तन होने के बाद ही गांव के किसान अपने खेतों में खेती के कार्य को आरंभ करते हैं। इसी मान्यता को मानते हुए शनिवार रात को डुमरा उत्तर पंचायत के जमुआटांड़ गांव के हरि मंदिर प्रांगण में अखंड हरि कीर्तन का आयोजन किया गया। जो रविवार दोपहर को हरिमंदिर प्रांगण में हरि कीर्तन का समापन कुंज भांग के साथ हुआ।
यह हरि कीर्तन कोलकाता से आये कीर्तन मंडली द्वारा किया गया। जिसमें कीर्तन मंडली के मूल गायक ने राधा एवं भगवान श्री कृष्ण की बाल व युवा लीला का बांग्ला भाषा में ऐसा वर्णन किया कि उपस्थित श्रद्धालू भक्ति रस के सागर में खूब गोता लगाए । वहीं हरि कीर्तन के दौरान पूरा जमुआटांड़ गांव राधेकृष्ण व श्री हरि की जयकारे से भक्तिमय हो गया। इस धार्मिक अनुष्ठान को संपन्न कराने में जमुआटांड़ गांव के सौलह आना समिति के लोगों का महत्वपूर्ण योगदान रहा।