रिपोर्ट : काशीनाथ
बाघमारा : ब्लॉक दो क्षेत्र के ओपेन कास्ट खदान से सटे केसरगढ़ से जमुनिया हाल्ट व मधुबन जाने वाले नवनिर्मित सड़क किनारें भूधसान, दरार एवं कई छोटे छोटे गोफ बन जाने से उक्त सड़क वहा के ग्रामीणों एवं राहगीरों के लिए काफी खतरनाक हो गया हैं। हालांकि बीसीसीएल ब्लॉक दो क्षेत्रीय प्रबंधन ने कुछ दिन पहले उक्त स्थल पर पत्थर जमा कर सड़क मार्ग के क्षतिग्रस्त हिस्सें को ब्लॉक कर दिया हैं। जिससे लोग सड़क के बगल से होकर कच्चे रास्ते से होकर आवागमन करने को मजबूर हैं।
वहाँ के ग्रामीणों का कहना हैं कि राज्य सरकार पीडब्लूडी विभाग जानबूझकर 6 माह पहले अग्नि प्रभावित क्षेत्र में सड़क निर्माण किया हैं। लोगों की जान की परवाह किए बिना कमीशन की लालच में करप्शन को बढ़ावा देकर जनता का पैसा को बर्बाद किया हैं। सड़क का निर्माण भी अधूरा हैं। इस कमीशन की खेल में बीसीसीएल प्रबंधन की भी मिलीभगत हैं। केसरगढ़, सितपोकी, बेलियाटांड़, सदरियाडीह के ग्रामीणों को नजरअंदाज कर बीसीसीएल ब्लॉक टू क्षेत्रीय प्रबंधन द्वारा खदानों का लगातार विस्तारीकरण किया जा रहा। ग्रामीणों के घरों के काफी नजदीक ओपेन खदान में उत्खनन कार्य चल रहा हैं। हरपल ग्रामीणों को ये डर सताता रहता हैं कि घर कही भूधसान की चपेट में ना जाये। वैसे भी वहाँ के ग्रमीणों के घरों में हेवी ब्लास्टिंग की वजह से दरारे आ गई हैं। साथ ही कोयला उत्खनन कार्य से उत्पन्न धूलकण व वायु प्रदुषण के कारण ग्रामीण बीमार भी हो रहे हैं।
ग्रामीणों ने कहा उक्त सड़क के किनारे दरार आने का प्रमुख कारणों में अग्नि क्षेत्र, हेवी ब्लास्टिंग एवं सड़क के काफी नजदीक खुली खदान व उत्खनन कार्य का होना हैं। इसी सड़क से होकर सैकड़ो ग्रामीण प्रतिदिन बाजार एवं अन्य कार्य के लिए मधुबन, फुलरीटांड़, महुदा आना जाना करते हैं। उक्त बस्तियों के लोगों का एक मात्र डिमांड हैं कि जितना जल्दी हो बीसीसीएल प्रबंधन नियोजन एवं मुआवजा देकर सुरक्षित स्थान पर बसायें। वही ब्लॉक दो क्षेत्रीय प्रबंधन का कहना हैं कि उक्त क्षेत्र अग्नि प्रभावित हैं। दुर्घटना की आशंका को लेकर क्षतिग्रस्त सडकमार्ग को पत्थर डालकर ब्लॉक कर दिया गया हैं। लोग क्षतिग्रस्त सड़क के उस हिस्सें से दूर हटकर आवाजाही कर रहें हैं। ग्रामीणों को जमीन खाली करने के लिए कहा गया हैं। बदले में बीसीसीएल रूल्स के मुताबिक नियोजन, मुआवजा और भी कई तरह की सुविधाएं देने को तैयार हैं। बाउजदू ग्रामीण जमीन खाली करने को तैयार नहीं हैं।